22 अप्रैल, विश्व पृथ्वी दिवस

उद्देश्य: पर्यावरण सुरक्षा के बारे लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाना

इतिहास: 1969 मे सेन फ्रांसिस्को मे यूनेस्को की सभा मे जान मेकानल ने पृथ्वी पर शाँति बनाए रखने का प्रस्ताव रखा। पहली बार विश्व पृथ्वी दिवस, 1970 मे मनाया गया । जिसमे लगभग 2000 लोग शामिल थे। अब दुनिया मे 192 देश इसे मनाते है।

जान मेकानल ने पृथ्वी दिवस का एक झंडा भी तैयार किया है , जिसे पृथ्वी दिवस झण्ड़ा कहा गया। ‘अर्थ’ शब्द 8 वीं सदी के एंग्लो सेक्शन वर्ड ‘एर्डा’ से आया, जिसका अर्थ है ‘ मिट्टी।

महात्मा गाँधी ने एक बार कहा था कि, प्रकृति में इतनी ताकत होती है कि, वह हर मनुष्य की “जरुरत” को पूरा कर सकती है। लेकिन पृथ्वी कभी भी मनुष्य के “लालच” को पूरा नही कर सकती है।

 

पृथ्वी दिवस की स्थापना अमेरिकी सीनेटर गेलोर्ड नेल्सन ने पर्यावरण शिक्षा के रूप की थी। सन् 1970 से प्रारम्भ हुए इस दिवस को आज पूरी दुनिया के 195 से अधिक देश मनाते हैं। इन्हें फादर ऑफ़ अर्थ डे कहा जाता है।

 

पृथ्वी दिवस की गतिविधियों में पूरी दुनिया में लगभग 1 अरब से अधिक लोग हर साल भाग लेते हैं। इस प्रकार इतनी बड़ी संख्या के साथ यह पूरी दुनिया का सबसे बड़ा नागरिक आन्दोलन है।

 

पृथ्वी दिवस एक वार्षिक आयोजन है। जिसे 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है। इस तारीख के समय उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम रहता है।

22 अप्रैल 1970 को आयोजित पहले पृथ्वी दिवस में 20 मिलियन अमेरिकी लोगों ने भाग लिया था । जिसमे हर समाज, वर्ग और क्षेत्र के लोगों ने भाग लिया था। इस प्रकार यह आन्दोलन आधुनिक समय के सबसे बड़े पर्यावरण आन्दोलन में बदल गया था। इस दौरान अमेरिका के हजारों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने पर्यावरण में गिरावट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।

 

पर्यावरण-प्रेमी, प्रबुद्ध समाज, स्वैच्छिक संगठन; समुद्र में तेल फैलने की घटनाओं को रोकने, नदियों में फैक्ट्री का गन्दा पानी डालने वाली कंपनियों को रोकने के लिए, जहरीला कूड़ा इधर उधर फेकने की प्रथा पर रोक लगाने के लिए और जंगलों को काटने वाली आर्थिक गतिविधियों को रोकने के लिए आज भी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।

 

पृथ्वी दिवस शब्द किसने दिया था—

“पृथ्वी दिवस या अर्थ डे” शब्द को जुलियन कोनिग 1969 ने दिया था।इस नए आन्दोलन को मनाने के लिए 22 अप्रैल का दिन चुना गया। इसी दिन केनिग का जन्मदिन भी होता है। उन्होंने कहा कि “अर्थ डे” “बर्थ डे” के साथ ताल मिलाता है। इसलिए उन्होंने 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाने का सुझाव दिया था।

 

पृथ्वी के पर्यावरण को नष्ट करने वाले कारक इस प्रकार हैं;

1. पॉलीथीन पृथ्वी के लिए सबसे घातक है। फिर भी हम इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं।

2. पेड़ को काटना और नदियों, तालाबों को गंदा करना हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बना हुआ है.

3. विश्व का मानव संसाधन पर्यावरण जैसे मुद्दों के प्रति कम जागरूक है.

4. प्रथ्वी के प्रति मानव की शोषण धारित प्रवृत्ति का होना.

5. वन और पर्यावरण सुरक्षा कानूनों का शिथिल होना।

अगर हर देश में वनों का इसी तरह से अंधाधुंध विनाश होता रहा । अर्थात लकड़ी के जंगलों की जगह कंक्रीट के जंगल बनते रहे, उद्योग लगते रहे। तो बहुत जल्दी ही यह पृथ्वी फिर से आग का गोला बन जाएगी।

अंत में यह कहा जा सकता है कि, जिस दिन हम इस पृथ्वी को आने वाली पीढ़ियों के लिए रहने लायक दुबारा बना देंगे ।उसी दिन दुनिया सही मायने में अर्थ डे या प्रथ्वी दिवस मनाएगी।

चुनौतियां:—भारत मे एक दशक में करीब दो डिग्री सेसि की दर से औसत तापमान बढ़ रहे है। मानसून का समय बिगड़ रहा है। पर्यावरण मे हो रहे बदलाव के साथ देश की बड़ी आबादी को स्वच्छ पानी , खाद्य , ऊर्जा ,और स्वस्थ्य जीवन देने की चुनौती है।

 

पृथ्वी को सुन्दर और खुशहाल बनाने हेतु—

अधिकतम पेड़ लगायें। पानी का सही इस्तेमाल करे। कम से कम कचरा इकट्ठा होने दे। चीजों को फेकने के बजाय उन्हें दोबारा इस्तेमाल करने के बारे सोचें ।पालीथीन का इस्तेमाल न करें। कागज के दोनों तरफ लिखें। जब जरूरी न हो तो, , टीवी लाईट फ्रीज पंखा आदि बंद रखे। भोजन बरबाद न करे।

आइए हम सब मिलकर पृथ्वी को हरा भरा और सुन्दर बनाये।

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